Monday, June 16, 2008

Jaat

जाट करै ना दोस्ती, जाट करै ना प्यार
जो साचा इंसान हो, वो- इसका यार


चुगलखोर और दुतेड़े दुश्मन इनके खास

चाहे पायां पड़े रहो, कोन्यां आवैं रास

जाट मोहब्बत का भूखा, प्यारा दे सै मार
-
जो साचा इंसान हो, वो- इसका यार


अपनी औरत को भाळै, पीटै बेशक रोझ

पर और कोए कुछ बोल दे, मिटा दे उसका खोज

इसकी नफरत और प्रेम का पावै कोन्या पार
-
जो साचा इंसान हो, वो- इसका यार


मुंह की अपनी काढ दे, जै कोए आवै मदद करण

मरौड़ कसूती सै धिखे, जिब्बै दे दे जान

जी मैं आवै वो- करैगा, कोन्यां मानै हार
-
जो साचा इंसान हो, वो- इसका यार


ऊपर तैं जणूं पाथर हो, भीतर जणूं गुलाब

एक मिनट में साळा कह दे, चाहे साहमी हो नवाब
!
इसकी माया न्यारी सै, यो लाम्बी करै उडार
-
जो साचा इंसान हो, वो- इसका यार


भेल्ली दे दे, ना दे गंडा, इसका इसा मिजान

रूस ग्या तै रूस ग्या, कोन्यां जा मुंह-काण

भगवानां नै मान ली, कई बै इस तैं हार

जो साचा इंसान हो, वो- इसका यार

No comments: