Tuesday, June 3, 2008

FW: Jab main Delhi pahuncha.......

 

एक दिन ,

मैं दिल्ली  पहुँचा ,

स्टेशन पे एक कुली से बाहर जाने  का  रास्ता पूंछा .

कुली ने कहा: " बाहर जाके  पूंछो ."

 

 

 

मैंने ख़ुद ही

रास्ता धुंध  लिया ,

बाहर जाके टैक्सी वाले  से  पूंछा :

" भाई साहब  लाल किले  का  कितना  लोगे ?"

जवाब मिला: " बेचना  नही  है ."

 

 

 

टैक्सी छोड़ , मैंने  बस  पकड़  ली ,

कोन्दुक्टोर  से  पूंछा: "जी , क्या मैं सिगरेट   पी सकता हूँ ?"

वो गुर्र्रा कर   बोला : "हरगिज़  नही , यहाँ सिगरेट पीना  मन  है."

मैंने कहा: "पर वो जनाब तो  पी रहे है!"

फिर से गुर्र्र्राया : "उसने मुझसे पूंछा नही है."

 

 

 

लाल किले  पंहुचा , होटल  गया .

मेनेजर  से कहा: "मुझे रूम  चाहिए , सातवी मंजिल  पे ."

मेनेजर ने कहा: "रहने  के लिए या कूदने  के लिए ?"

रूम पंहुचा , वेटर  से कहा:

" एक पानी का गिलास  मिलेगा ?"

उसने जवाब दिया: "नही साहब , यहाँ तो सारे कांच के मिलते हैं."

 

 

 

होटल से निकला , दोस्त के घर जाने के लिए ,

रस्ते  मी  एक साहब से पूंछा:

" जनाब , ये सड़क कहाँ को जाती है ?"

जनाब हंस  कर बोले: "पिछले  बीस साल से देख रहा  हूँ , यही पड़ी है... कहीं  नहीं जाती."

 

 

 

दोस्त के घर पंहुचा , तो मूझे देखते ही चोंक   पड़ा ,

उसने पूछा : "कैसे आना हुआ ?"

अब तक तो मुझे भी आदत  पड़ गई थी ,

मैंने भी जवाब दिया: "ट्रेन से."

 

 

 

मेरी अओभागत  करने के लिए दोस्त ने अपनी बीवी से कहा:

" अरी  सुनती  हो... मेरा दोस्त पहली  बार घर आया है ,

  उसे कुछ ताज़ा  ताज़ा खिलाओ ."

सुनते ही भाभी जी ने घर की सारी 

खिध्कियाँ   और दरवाजे  खोल  दिए.

कहा: "ताजी   हवा  खा  लीजिये."

 

 

 

दोस्त ने फिर से बडे  प्यार से बीवी से कहा:

" अरी  सुनती हो , इन्हे जरा अपना चालीस  साल पुराना आचार  तो दिखाना."

भाभी जी  एक बाल्टी  मे रखा आचार ले आई.

मैंने भी अपनापन  दिखाते  हुए भाभी जी से कहा:

" भाभी जी , आचार सिर्फ़ दिखाएंगी , चाखायेंगी नही ?"

भाभी जी ने टाक से  जवाब दिया: "यूँही  अगर  सब  को 

चखाती तो आचार चालीस साल पुराना कैसे होता ?"

 

 

 

थोडी  देर बाद देखा , भाभी जी

अपने पोते  को सुला  रही  थी ,

साथ मे लोरी  भी गा  रही थी:

" डिप्लोमा  सो जा , डिप्लोमा सो जा."

लोरी सुन में हैरान  हुआ और दोस्त से पूछा:

" यार , ये डिप्लोमा क्या है ?"

दोस्त ने जवाब दिया: "मेरे पोते   का नाम ,

बेटी बम्बई गई थी , डिप्लोमा लेने के लिए

और साथ में इसे ले आई ,

इसीलिए  हमने इसका नाम डिप्लोमा रख दिया."

फिर मैंने पूंछा: "आजकल  तुम्हारी बेटी क्या कर रही है ?"

दोस्त ने जवाब दिया: "बम्बई गई है , डिग्री लेने के लिए

 

1 comment:

lalit mohan pandey said...

Sab ke sab copy paste Sahi hai bidu ...